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इंसान अपने रब का नाशुक्रा बन्दा क्यों है ?

इंसान अपने रब का नाशुक्रा बन्दा क्यों है ?



इंसान अपने रब का नाशुक्रा बन्दा क्यों है ? 
Al - Qur'an 

" यक़ीनन इंसान अपने रब का बड़ा नाशुक्रा है " 
[100 : 6] 

आइए जानते है कैसे 👇
इंसान जब रोजी मांगता है अल्लाह पाक से तो उसके जहन में रुपए पैसे ही होते हैं , और अगर कुछ वक्त लगातार मांगे और वह मालदार ना हो तो , वह निराश होता है या गलत तरीके से मालदार होने की ट्राय करता है , जो असल में रब से नाशुक्रापन ही होगा ,

 रोज़ी यानी शिर्फ़ रुपये नही है , मगर अल्लाह की कई नैमत है , जैसे ईमान , नफावाला इल्म , हुनर , नेक औलाद सालेह बीवी या सोहर , लोगो मे इज़्ज़त और वकार - सेहत , खुसमिज़ाजी , दिमाग सुकून , अच्छी नींद- टेंशनलेस जन्दगी , मुस्कुराता चेहरा , उम्दा अखलाक़ बहादुरी , जानिशार दोस्त , दुश्मन में रौफ , सच्चाई , हया " 

Q } इन मे से तुम्हारे पास क्या नही है , और क्यों ? 

सुराह रहमान में रब ने बार बार पूछा इंसान से " तुम अपने रब की कोन कोन सी नेमतों का इनकार करोगें " ?

 तुम्हारे रब ने तुमसे कहा , अगर तुम शुक्र करोगे तो मैं तुम्हारी नेमतों को बड़ा दूंगा " [14 : 7]

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