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एक अहेम अमल की फजीलत



कुरआन की कोई सूरत पढ कर सोना

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया:
 “जब मुसलमान बिस्तर पर (सोते वक्त) कुरआन करीम की कोई भी सूरत पढ लेता है, तो अल्लाह तआला उस की हिफाजत के लिए एक फरिश्ता मुकर्रर फरमा देता है और उसके जागने तक कोई तकलीफ़ देह चीज उसके करीब भी नहीं आती।”

[तिर्मिज़ी:3407, अन शद्दाद बिन औस (र.अ)]

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